Bastar on the path of development and peace: बस्तर: करीब चार दशक तक वामपंथ उग्रवाद के नासूर से कराह रहा बस्तर अब इस दर्द से आजाद हो रहा है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की संवेदनशील सरकार के विकासवादी नीति और शांति स्थापना के प्रयासों का असर समूचे बस्तर संभाग में नजर आने लगा है। एक तरफ राज्य की सरकार नक्सलवाद के मोर्चे पर वामपंथ उग्रवाद को मुहतोड़ जवाब देते हुए स्थानीय आदिवासियों को भयमुक्त वातावरण दे रही है तो दूसरी तरफ स्थानीय आदिवासियों, मूलनिवासी जनजातियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास के रास्ते भी खोल रही है।
टूरिज्म कॉरिडोर
Bastar on the path of development and peace: बस्तर अपनी नैसर्गिक ख़ूबसूरती के लिए न सिर्फ छत्तीसगढ़ अपितु समूचे भारतवर्ष में प्रसिद्द है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव से का मानना है कि बस्तर में पर्यटन की अपार सम्भावनाये हैं। बस्तर को टूरिज्म हब के तौर पर विकसित करते हुए इसकी ख्याति को विदेशो तक भी पहुंचाया जा सकता हैं। इसी उद्देश्य से सरकार बस्तर में अद्योसंरचना विकास की दिशा में कदम बढ़ा रही है। पिछले दिनों बस्तर विकास प्राधिकरण की महत्वपूर्ण बैठक में इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में बस्तर के विकास को लेकर कार्ययोजना तैयार की गई। बैठक में बस्तर में पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म कॉरिडोर बनाने पर विचार-विमर्श किया गया। इसके साथ ही बस्तर अंचल के पर्यटन के लिए चिन्हित स्थानों को विकसित करने के लिए रणनीति तैयार की गई है। बैठक में बस्तर में एनएमडीसी द्वारा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निर्माण के संबंध में भी चर्चा की गई। इतना ही नहीं बल्कि सवेदनशील मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सौर समाधान और मनो बस्तर एप्प को भी लांच किया।
धूड़मारास बनेगा आकर्षण का केंद्र
Bastar on the path of development and peace: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धूड़मारास गांव के चयन पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इससे बस्तर को नई पहचान मिली है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के पर्यटन ग्राम उन्नयन कार्यक्रम के लिए 60 देशों से चयनित 20 गांवों में भारत के धूड़मारास गांव को जगह मिली है। यह गांव छत्तीसगढ़ के बस्तर में है। यह भी छत्तीसगढ़ की सरकार की दूरदर्शिता और क्षेत्र की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए गंभीरता की वजह से सम्भव हो पाया।
रेल विकास से पहुँच होगा सुगम
Bastar on the path of development and peace: छत्तीसगढ़ सरकार का उद्देश्य टूरिज्म से पहले क्षेत्र में पहुँच सुविधाओं को सरल, सुलभ और सुगम बनाना है। आज प्रत्येक देशवासी के लिए सबसे सुलभ आवागमन का साधन रेलमार्ग है। दशकों से छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग रेल सुविधाओं से अछूता रहा है। लेकिन केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार ने रेल विकास के लिए कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। इनमें गढ़चिरौली से बीजापुर होते हुए बचेली तक 490 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन सर्वेक्षण भी शामिल है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत 16.75 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना पर मुख्यमंत्री ने प्रकाश डाला कि गढ़चिरौली से बीजापुर होते हुए बचेली तक 490 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण की मंजूरी से बस्तर के समावेशी विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा। मंत्रालय ने इस सर्वेक्षण के लिए 12.25 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो बस्तर के दूरदराज के इलाकों को सीधे शहरों से जोड़ेगा, जिससे उच्च शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और बाजारों तक बेहतर पहुंच होगी। यह परियोजना बस्तर क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है।
सड़क मार्ग हो रहा दुरुस्त
Bastar on the path of development and peace: बस्तर पहुँच में अबतक की सबसे बड़ी बाधा केशकाल घाटी के दुर्गम मार्ग को माना जाता रहा था लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस दिशा में प्रयास शुरू करते हुए इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए कदम आगे बढ़ाया और कार्य शुरू हुआ। मुख्यमंत्री साय ने केशकाल घाट सुधार कार्य को जल्द पूर्ण कराने और प्राधिकरण मद से स्वीकृत सभी कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण कराने निर्देश दिए। उन्होंने कलेक्टर बस्तर को देवगुड़ी, मातागुडी के कामों को डेढ़ महीने में पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने दंतेवाड़ा के नेरली, धुरली गांव में लाल पानी की समस्या सहित विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए एनएमडीसी को समाधानकारक उपाय करने के निर्देश दिए।